सुषमा स्वराज

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सुषमा स्वराज

Simran Singh 15-07-2023 15:45:02

सिमरन सिंह  
लोकल न्यूज़ ऑफ़ इंडिया, 
नई दिल्ली:  हरियाणा के अंबाला कैंट में जन्मी एक लड़की किसको पता था वह लड़की आगे चलकर एक इतिहास रचेगी। वो लड़की कोई ओर नही वो हैं सुषमा स्वराज जिसका नाम आते ही मन में एक ही भावना आती है ‘स्वराज’ जिसके नाम में ही स्वराज हो उन्हे ओर क्या कहा जा सकता है।
सुषमा स्वराज विशिष्ट गुणों से परिपूर्ण तथा हमारे भारतीय समाज में अपनी प्रतिभा को परिलक्षित करने वाली एवं मिलनसार व्यक्तित्व को धारण करने वाली एक सशक्त महिला एवं राजनेता थी।
जो एक कुशल वक्ता एवं प्रभावपूर्ण व्यक्तित्व एवं अपनी विशिष्टता के कारण मानव मस्तिष्क में अपनी विशिष्ट एवं अनोखी पहचान छोड़ी है। जिनके समक्ष आज के सभी महान राजनेता नतमस्तक हैं तथा सुषमा स्वराज उन सबके समझ एक आदर्श नारी एवं राजनेता के रूप में विद्यमान है।


अपनी प्रसिद्धि एवं अनोखी प्रतिभा को प्रदर्शित करने वाली भारत की प्रसिद्ध राज नेता सुषमा स्वराज भले ही आज हम सबके समक्ष विद्यमान नहीं है परंतु उनकी विशिष्टता एवं प्रसिद्धि एवं लोकप्रियता का प्रभाव हम सब पर उसी रूप में विद्यमान हैं जैसा वह छोड़ कर गई थी, सुषमा स्वराज एक ऐसी राजनेता थी जो राजनीतिक पार्टी के नाम से नहीं बल्कि अपने कामों के नाम से पहचानी एवं जानी जाती थी ऐसी राजनेता थी जो लोगों के प्रति दरियादिली और सहानुभूति के लिए जानी जाती थी।
सुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी 1952 को हरियाणा के अंबाला कैंट में हुआ 1970 में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से की थी इनके पिता हरदेवी शर्मा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख सदस्य थे अंबाला छावनी के सनातन धर्म कॉलेज से संस्कृति और राजनीतिक विज्ञान में पढ़ाई करने के बाद पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ से कानून की डिग्री ली। 
सुषमा स्वराज एनसीसी की सर्वश्रेष्ठ कैडेट थी और हरियाणा के राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में सर्वश्रेष्ठ हिंदी वक्ता का पुरस्कार जीता सुषमा स्वराज एक अच्छी वकील भी थी।
सुषमा स्वराज ने 1975 में स्वराज कौशल से शादी की सुषमा शर्मा अब सुषमा स्वराज बन चुकी थी। स्वराज कौशल वह नाम है जो 34 वर्ष की आयु में ही देश के सबसे युवा महाधिवक्ता और 37 साल की उम्र में देश के सबसे युवा राज्यपाल बने। 


सुषमा स्वराज ने राजनीति में आने की पहली सीढ़ी आपातकाल से शुरू की। आपातकाल के दौरान सुषमा ने जयप्रकाश नारायण के सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। आपातकाल के बाद वह जनता पार्टी की सदस्य बन गयीं। 1977 में पहली बार सुषमा ने हरियाणा विधानसभा का चुनाव जीता और महज़ 25 वर्ष की आयु में चौधरी देवी लाल सरकार में राज्य के श्रम मंत्री बन कर सबसे युवा कैबिनेट मंत्री बनने की उपाधि हासिल की।
सुषमा हिंदी भाषा एवं संस्कृत भाषा में अपनी गहरी पकड़ बनाई थीं तथा वो अपने भाषण में शुद्ध तत्सम प्रधान शब्दों का प्रयोग करती थी तथा सांसद के शपथ समारोह में सदैव
संस्कृत भाषा में शपथ लेती थी तथा हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की भाषा बनाने की पुरजोर कोशिश की।
1990 में सुषमा राज्य सभा की सदस्य बनीं। 6 साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद 1996 में दक्षिण दिल्ली से लोकसभा चुनाव जीतीं और अटल बिहारी वाजपेयी की 13 दिनों की सरकार में सूचना प्रसारण मंत्री बनाई गयीं। इसी दौरान उन्होंने लोकसभा में चल रही डिबेट के लाइव प्रसारण का फ़ैसला किया था।
विदेश मंत्री के रूप में सुषमा जी एक अहम भूमिका निभाई तथा उनके कुशल नेतृत्व में ऑपरेशन राहत , एवम् ऑपरेशन संकट मोचन को चलाया तथा हजारों प्रवासी भारतीयों की मदद की।
2004 के संसदीय चुनावों के बाद, जिसमें कांग्रेस के नेतृत्व वाला संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन विजयी हुआ, स्वराज ने धमकी दी कि अगर सोनिया गांधी प्रधान मंत्री बनीं तो वह अपना सिर मुंडवा लेंगी और सफेद साड़ी पहन लेंगी ।


सुषमा को सांसद बनने की हसरत थी उसके लिए सुषमा दिल्ली तो आ गई लेकिन दिल्ली की सियासत लोकप्रिय सदन की सियासत और दिल्ली शहर से जुड़ाव और अभी दूर था।
करीब 6 महीने बाद सुषमा स्वराज संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में साउथ दिल्ली की लोकसभा से निर्वाचित हुई। दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी सुषमा स्वराज। स्वराज लंबे समय से लोकसभा में आना चाहती थी। पर पहले प्रयास के 16 वर्ष बाद सफल रही चुनाव जीती तो कुछ दिनों बाद सूचना और प्रसारण मंत्री के रुप में  मंत्री पद की शपथ ले रही थी। 
2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा की शानदार जीत के हिस्से के रूप में और भी अधिक अंतर से जीतीं और उन्हें प्रधान मंत्री मोदी के मंत्रिमंडल में विदेश मामलों और प्रवासी भारतीय मामलों के लिए महत्वपूर्ण विभाग दिए गए। सुषमा स्वराज एक सफल वक्ता थी जो वाजपेई के बाद सबसे लोकप्रिय वक्ता थी। इस क्षमता नें उन्हें सोशल मीडिया पर भारतीय नागरिकों के साथ अपनी गर्मजोशीपूर्ण बातचीत के लिए प्रतिष्ठा विकसित की । कई लोग उन्हें ‘ट्विटर मिनिस्टर’ कहते थे क्योंकि सुषमा सहायता की अपीलों का फौरन जवाब देती थी।
2016 के अंत में उनकी किडनी फेल हो गई । उनका सफल किडनी प्रत्यारोपण हुआ लेकिन वह स्वास्थ्य समस्याओं से जूझती रहीं जिससे एक लोक सेवक के रूप में उनकी क्षमता प्रभावित हुई। उन्होंने 2019 के वसंत में पुन: चुनाव नहीं लड़ने का विकल्प चुना और मोदी के पहले कार्यकाल के अंत में उनका मंत्रिमंडल छोड़ दिया। 
राजनीति का वह दिन जब सुषमा स्वराज हमें छोड़ कर चली गई 6 अगस्त 2019 “कार्डिएक अरेस्ट” बीमारी से जूझ रही सुषमा हमें छोड़ कर चली गई। राजनीति की सुषमा अब नहीं रही।
मरणोपरांत 2020 में उन्हें उनके सराहनीय कार्य के लिए भारत के सर्वोच्च पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।

जाते जाते एक एक बात पूछना है की क्या राजनितिक इतिहास कभी बिना सुषमा स्वराज के लिखा जायेगा? और महिला राजनीति की यह बेबाक आवाज अमरत्व के साथ सदैव हमारे बीच गूंजती रहेगी।

सादर नमन सुषमा स्वराज जी को ।

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